तेंदूपत्ता संग्रहण एक महत्वपूर्ण लघु वनोपज संग्रहण प्रक्रिया है, जो बीड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेंदू के पत्तों को एकत्र करने से संबंधित है। यह मुख्य रूप से ग्रामीण और गरीब समुदायों द्वारा किया जाता है, जो अपना जीवनयापन इसी कार्य से करते हैं।यह संग्रहण कार्य आमतौर पर मई के पहले सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक होता है।
कवर्धा:_कबीरधाम जिले में इस बार हरा सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता की लक्ष्य से अधिक खरीदी हुई है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में 40 हजार मानक बोरा खरीदी का लक्ष्य था, जबकि 42 हजार मानक बोरा की खरीदी हुई।
तेंदूपत्ता संग्राहकों को 23 करोड़ का भुगतान
तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले लोगों को सरकार 5500 रुपये प्रति मानक बोरा की दर से भुगतान कर रही है।कवर्धा जिले में इस बार संग्रहण करने वालों को 23 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा, जिसमें 70 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जा चुका है।
कवर्धा वनमंडलाधिकारी ने मीडिया सूत्र को बताया कि जिले में 19 वन समिति हैं, जिसके माध्यम से तेंदूपत्ता की खरीदी की जाती है. इस बार जितनी भी तेंदूपत्ता की खरीदी की गई, उसे 24 लॉट में रखा गया। सभी का उठाव हो चुका है।इसके साथ ही जो उठाव हुआ है, उनमें से कई लॉट की खरीदी समर्थन मूल्य 5500 रुपये मानक बोरा से अधिक कीमत पर हुई है, जिसका लाभ बोनस के रूप में समिति को मिलेगा।
तेंदूपत्ता का मुख्य उपयोग बीड़ी बनाने में
तेंदूपत्ता का उपयोग मुख्य रूप से बीड़ी बनाने में किया जाता है। बीड़ी एक प्रकार की सिगार है जो तेंदूपत्ते में तंबाकू और अन्य मसालों को भरकर बनाई जाती है। तेंदूपत्ता की मांग बीड़ी उद्योग में बहुत अधिक होती है, और इसके लिए बड़े पैमाने पर तेंदूपत्ते की खेती और संग्रहण किया जाता है।
तेंदूपत्ता वनवासियों का प्रमुख व्यवसाय
तेंदूपत्ता संग्रहण वनवासियों और आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। तेंदूपत्ता संग्रहण से उन्हें आय का एक प्रमुख स्रोत मिलता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां अन्य रोजगार के अवसर कम होते हैं। वनवासी तेंदूपत्ते को जंगल से इकट्ठा करते हैं और फिर इसे वन विभाग या निजी एजेंटों को बेचते हैं। इससे उन्हें अपनी आजीविका चलाने में मदद मिलती है। सरकार भी तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए समर्थन मूल्य और अन्य सुविधाएं प्रदान करती है ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके।