मामला साल 2009 में गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा से जुड़ा है। इसमें फर्जी अभ्यर्थियों और सॉल्वरों की मदद से एडमिशन दिलाने की साजिश रची गई थी।व्यापमं घोटाले में 10 दोषियों को तीन-तीन साल कैद की सजा साथ ही सीबीआई कोर्ट ने सभी पर 16 हजार का जुर्माना भी लगाया।
भोपाल। मध्य प्रदेश में एमबीबीएस दाखिले की परीक्षा से जुड़े व्यापमं मामले में सीबीआई विशेष अदालत ने दस आरोपियों को तीन साल कैद की सजा सुनाई और उन पर 16 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इन दस में चार उम्मीदवार, पांच उम्मीदवारों के बदले परीक्षा देने वाले और एक बिचौलिया शामिल है।
सीबीआई के अनुसार जिन आरोपियों को सजा सुनाई गई उनमें विकास सिंह, कपिल परते,दिलीप चौहान और प्रवीण कुमार (सभी चार
उम्मीदवार), सत्येंद्र सिंह (बिचौलिया) और नागेंद्र कुमार, आदेश कुमार, रमेश कुमार प्रिस सिंह और शिव करण साहू (सभी पांच दूसरे उम्मीदवारों के बदले परीक्षा देने वाले) हैं।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 के आदेश का पालन करते हुए 12 फरवरी, 2015 को इन उम्मीदवारों के खिलाफ मामला फिर से दर्ज किया था।इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी, जिसमें पाया गया कि आरोपियों ने फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हासिल किया था। सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस तरह की धोखाधड़ी समाज के लिए बहुत घातक है।
अपनी जांच पूरी करने के बाद, सीबीआई ने 31 जनवरी, 2019 को आठ लोगों के खिलाफ पहला पूरक आरोप पत्र और 19 दिसंबर, 2019 को दो अन्य लोगों के खिलाफ दूसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया। मई 2024 में, भोपाल की एक विशेष सीबीआई अदालत ने एक दशक पुराने व्यापमं मामले में 11 लोगों को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। (मीडिया एजेंसी)