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Saturday, June 14, 2025

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत बेमेतरा जिले में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की दिशा में अभिनव पहल

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ग्रामीण क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे का सुरक्षित निपटान बना आय का साधन ग्राम राखी में स्वच्छता दीदी कर रही हैं पुनर्चक्रण योग्य कचरे का व्यवसायिक उपयोग। पुनर्चक्रण (Recycling)  कचरे को नई सामग्री और वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया है, जिससे यह कचरा फिर से उपयोग में लाया जा सके ।कचरे का रीसाइक्लिंग कर स्वच्छता,पर्यावरण जागरूकता और महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बनकर उभर रही है, जिसे अन्य जिलों में भी “बेमेतरा मॉडल” के रूप में अपनाया जा सकता है।

छत्तीसगढ़/बेमेतरा:_ छत्तीसगढ़ सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत बेमेतरा जिले में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की दिशा में अभिनव पहल प्रारंभ की गई है। कलेक्टर रणबीर शर्मा एवं जिला पंचायत सीईओ टेकचंद अग्रवाल के मार्गदर्शन में जिले के साजा ब्लॉक के ग्राम राखी में स्थापित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट आज न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही है, बल्कि स्वच्छता दीदी के लिए आय का सशक्त माध्यम भी बन चुकी है। इस यूनिट में ब्लॉक के आसपास के ग्रामों से प्लास्टिक कचरे का संग्रहण किया जा रहा है, जिसे गांवों में कार्यरत स्वच्छता दीदी स्वयं एकत्र कर रही हैं। ये दीदी न केवल अपने गांव को स्वच्छ बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, बल्कि इस कार्य के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता भी हासिल कर रही हैं।
ग्राम राखी स्थित यूनिट में कार्यरत माँ जय लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की महिलाएं इस एकत्र कचरे की छंटाई करती हैं। इसके बाद यूनिट में स्थापित आधुनिक बेलिंग मशीन के माध्यम से प्लास्टिक कचरे को बंडल कर पुनर्चक्रण कंपनियों को बेचा जाता है। यह प्रक्रिया कचरे के सुरक्षित निपटान के साथ-साथ राजस्व सृजन का भी एक प्रभावी मॉडल बन गई है।
कलेक्टर रणबीर शर्मा ने इस पहल पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा की ग्राम स्तर पर प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की यह व्यवस्था स्वच्छता और सतत विकास दोनों लक्ष्यों की पूर्ति कर रही है। इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित हो रहा है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को एक नई आर्थिक दिशा भी मिल रही है। जिला पंचायत सीईओ श्री टेकचंद अग्रवाल ने बताया कि जिले के प्रत्येक विकासखंड में इस प्रकार की एक-एक प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की जा चुकी है। सभी यूनिट्स में प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है और यह कार्य लगातार विस्तार की ओर अग्रसर है।
स्वच्छता दीदी न केवल गांवों की साफ-सफाई में अहम भूमिका निभा रही हैं, बल्कि अपने श्रम से अतिरिक्त आय अर्जित कर परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सशक्त बना रही हैं। इससे “स्वच्छता से स्वावलंबन” की दिशा में जिले ने एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। यह पहल ग्रामीण स्तर पर स्वच्छता, पर्यावरण जागरूकता और महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बनकर उभर रही है, जिसे अन्य जिलों में भी “बेमेतरा मॉडल” के रूप में अपनाया जा सकता है।

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