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Thursday, March 13, 2025

जिला के स्वास्थ्य केंद्र में दिनांक 09 से 15 मार्च तक मनाया जाएगा विश्व ग्लाकोमा सप्ताह

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विश्व ग्लाकोमा सप्ताह का शुभारम्भ

बेमेतरा : 10 मार्च 2025
राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कलेक्टर रणबीर शर्मा के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एच स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. यशवंत कुमार ध्रुव के आदेश पर दिनांक 09 से 15 मार्च 2025 तक ‘विश्व ग्लाकोमा सप्ताह का शुभारंभ जिला चिकित्सालय बेमेतरा में किया गया। जिसमें अस्पताल सलाहकार डॉ. स्वाती यदु नोडल ऑफिसर की मेखराम साहू, डॉ. विजया रमन राहायक नोडल अधिकारी , विजय कुमार देवांगन, दीपा शर्मा, दीपक साहू एवं हाशिम खान नेत्र सहायक अधिकारी के साथ मरीज उनके परिजन,अन्य स्टॉफ उपस्थित रहे। विश्व ग्लाकोमा सप्ताह समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मनाया जा रहा है। इस वर्ष का थीम “ग्लुकोमा मुक्त विश्व के लिए एकजुट होना है।

डॉ यशवंत कुमार ध्रुव ने ग्लाकोमा के संबंध में विस्तार से चर्चा की ग्लाकोमा (कौंचबिंद) आँख के अंदर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आँखों का तनाव धीरे-धीरे बढ़ता है और ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है। अतः परिणाम नजर धीरे-धीरे बंद हो जाती है. सही समय पर ईलाज कराने पर रोशनी जाने से रोका जा सकता है।


डॉ.भेखराम साहू नोडल अधिकारी (अंधत्व) ने बताया कि 40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को समय-समय पर अपनी आंखों की जांच करानी बाहिए। आँखों के अंदर लगातार एक्वस हुमर नामक तरल प्रवाहित होते रहता है। आँखों की निश्चित आकृति बनाये रखने के लिए निश्चित मात्रा का एक्चस हुमर तैयार होते रहता है और उसी मात्रा में आँखों से बाहर निकलते रहता है। यदि बाहर निकलने का रास्ता किसी वजह से बंद हो जाता है तो आँखों के अंदर तरल की मात्रा बढ़ने से आँखों का तनाव बढ़ जाता है। ये तनाव सीधा ऑप्टिक नर्व को गुकसान पहुंचाकर धीरे-धीरे नजर बंद कर देता है। अगर सही समय पर इलाज न किया जाये, तो व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा हो सकता है। ग्लाकोमा की शिकायत 40 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को अपने परिवार में किसी को होने से, चश्में का नंबर जल्दी-जल्दी बदलना, बी.पी. या डायबिटीक के मरीज को हो सकती है। यदि आपको आँखों से चल्ब के चारों ओर रंगीन गोले नजर आए आँखों में दर्द महसूस हो, रोशनी कम लगे तो यह काला मोतियाबिंद (ग्लाकोमा) हो संकता है।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक कुमार बसोड ने कहा कि ग्लाकोमा का सही समय पर पता चलने पर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। यदि ग्लाकोमा के कारण दृष्टि चली गई है तो उसे जांच कर उपचार किया जाये तो बची हुई दृष्टि को बचाया जा सकता है। आँखों की दृष्टि जाने से पहले ही मरीज को स्वयं जल्द से जल्द इसकी जांच करानी चाहिए तभी इस बीमारी को रोका जा सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए एक बार नेत्र विषेशज्ञ से जांच अवश्य करानी चाहिए। यदि एक बार ग्लाकोमा हो जाए, तो हमें पूरी उम्र देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है।

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