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Monday, April 28, 2025

क्या चार्ल्स कर रहे धर्म परिवर्तन!?,,किंग चार्ल्स पर उठे सवाल ईस्टर पर किया इस्लाम की तारीफ

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ब्रिटेन के किंग चार्ल्स ने ईस्टर संदेश में इस्लाम की प्रशंसा की, सोशल मीडिया पर भारी विरोध शुरू। यूज़र्स ने उनकी निष्ठा पर खड़े किए सवाल

तुष्टिकरण का सीधा अर्थ है रणनीतिक वोटबैंक ।राजनीतिक फायदा लेकर किसी वर्ग विशेष को संतुष्ट करना या उनके रजामंदी से शासन चलाना।इससे यह होता है अल्पसंख्यक होते भी बहुसंख्यक का लगाम थामे रखना,ये शब्द है तुष्टिकरण। तुष्टिकरण का मतलब होता है, किसी एक खास वर्ग को संतुष्ट करना या खुश करना। तुष्टिकरण शब्द का इस्तेमाल भारत में मुसलमानों से जोड़कर किया जाता है।लेकिन ऐसी ही कुछ आवाज़ ब्रिटेन (UK) से भी सुनने में आ रही है।इंग्लैंड में भी नेताओं, पार्टियों और यहां तक कि किंग चार्ल्स की तरफ से मुस्लिम समुदाय को खुश करने की कोशिश होती दिख रही है। पॉलिटिकल पार्टियां, मुस्लिम वोटों के लिए तुष्टिकरण की कोशिश करें तो बात समझ में आती है..

किंग चार्ल्स पर उठे सवाल ईस्टर पर किया इस्लाम की तारीफ

लेकिन किंग चार्ल्स इस्लाम की प्रशंसा कर घिर गए हैं। इंग्लैंड के किंग चार्ल्स ने ईस्टर के अवसर पर एक संदेश दिया है। इस तरह का संदेश ईस्टर के मौके पर हमेशा इंग्लैंड का शाही परिवार जारी करता है। इस संदेश में दूसरी बातों के अलावा इस्लाम की प्रशंसा की गई है।किंग चार्ल्स के ईस्टर वाले संदेश में इस्लाम का जिक्र होने पर लोग भडक गए हैं। वो सोशल मीडिया पर किंग चार्ल्स के संदेश पर सवाल उठा रहे हैं।वो पूछ रहे हैं कि ईस्टर पर इस्लाम का जिक्र क्यों किया गया?

कुछ लोग तो तंज़ कर रहे हैं कि क्या किंग चार्ल्स ने धर्म परिवर्तन कर लिया है? ब्रिटेन के किंग को ईसाईयत का रक्षक माना जाता है. माना जाता है कि इस्लाम के खिलाफ क्रूसेड का नेतृत्व इंग्लैंड ने ही किया था. ऐसे में कैथोलिक ईसाई सवाल पूछ रहे हैं कि क्या चार्ल्स अपनी उस भूमिका को अनदेखा कर रहे हैं.

जेलों का इस्लामीकरण!

लेकिन लगता है कि ब्रिटेन में सिर्फ किंग ही नहीं बल्कि वहां की जेलों का भी इस्लामीकरण हो गया है। लंदन के एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की जेलों में मुस्लिमों के क्रिमिनल गैंग ने एक तरह से कब्जा कर लिया है। वहां शरिया कानून चल रहा है। अफसर बेबस हैं। ब्रिटिश प्रिजन ऑफिसर्स एसोसिएशन का दावा है –

2002 मे ब्रिटिश जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या 5500 थी.
वो 2024 में बढ़कर 16,000 तक पहुंच गई

ब्रिटिश जेलों में मुस्लिम ब्रदरहुड नाम से गिरोह एक्टिव हैं।
जो आतंकियों की भर्ती और ब्रेनवॉश तक कर रहे हैं।
ये गिरोह ब्रिटिश जेलों में ड्रग्स और ब्लैकमनी के रैकेट चला रहे हैं


सिर्फ ब्रिटिश जेलों में ही नहीं, बल्कि पूरे ब्रिटेन में पिछले कुछ दशकों में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ी है। ब्रिटेन में इस समय 1825 से ज्यादा मस्जिदें हैं। ब्रिटेन की धरती पर 30 से ज्यादा शरिया काउंसिल एक्टिव हैं। ब्रिटेन में दूसरी सबसे बड़ी धार्मिक आबादी मुस्लिमों की हो गई है। जिनमें पाकिस्तानियों के अलावा, ईरान, इराक, अफगानिस्तान और सीरिया से आए शरणार्थी भी हैं।

हिंदू सिर्फ 5 परसेंट

ब्रिटेन में 2011 में 27 लाख मुस्लिम थे. जो 2021 में बढ़कर 39 लाख हो गए।
ब्रिटेन की आबादी का कुल साढ़े 6 फीसदी मुस्लिम हैं।
जिस लंदन से ब्रिटेन की सरकार चलती है। वहां भी मुस्लिम अच्छी खासी संख्या में हैं।
लंदन में 40 ईसाई हैं तो 15 फीसदी मुस्लिम हैं. हिंदू सिर्फ 5 परसेंट हैं।

आबादी बढ़ी तो उन्होंने सियासत में भी दखल देना शुरू कर दिया है।ब्रिटेन के कई शहरों में मेयर पद पर लंबे समय से मुस्लिम काबिज हैं। लंदन में लगातार तीसरी बार पाकिस्तानी मूल के सादिक खान चुनाव जीतकर मेयर बने हैं।

– इसके साथ ही LB न्यूहैम काउंटी में भी लेबर पार्टी की रुखसाना फयाज मेयर चुनी गई हैं।
– LB टावर हैमलेट में लुत्फुर रहमान मेयर हैं।
– पिछले साल ऑक्सफोर्ड के लॉर्ड मेयर पद पर लुबना अरशद को चुना गया था।

2021 में जनगणना के मुस्लिम आबादी के बढ़े नतीजे

ब्रिटेन में वर्ष 2021 में जनगणना हुई थी। इसकी रिपोर्ट में पता चला कि ब्रिटेन में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है।जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर लंदन में मुस्लिम आबादी दस लाख से ज्यादा मुस्लिम आबादी हो गई है। यार्कशायर और हंबर में दस फीसदी हो गई है। मुस्लिमों की आबादी, ब्रिटेन में इसी तरह की बढोतरी जारी रही तो वर्ष 2050 में मुस्लिमों की आबाद 6.5 से बढ़कर 11 फीसदी हो जाएगी, जबकि ईसाईयों की आबादी 64 फीसदी से गिरकर सिर्फ 45 प्रतिशत तक रह जाएगी।

नफरत का माहौल

ब्रिटेन में बढ़ती मुस्लिम आबादी के साथ ही कट्टरपंथ, नफरत और सांप्रदायिक दंगों में बढोतरी दर्ज की गई है। इस्लामोफोबिया में इज़ाफा दर्ज किया गया है. निगरानी समूह टेलमामा, की रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में इज़रायली हमले के बाद, ब्रिटेन में मुस्लिम विरोधी नफरत में वृद्धि देखी गई है। ये रिपोर्ट बताता है कि वर्ष 2024 में इस्लामोफोबिया की 5,837 घटनाएं दर्ज की गईं, जो वर्ष 2023 में 3767 थीं।

ऐसा माना जाता है कि ब्रिटेन में मुसलमानों का पहला बड़ा समूह भारत से पहुंचा था ये बात करीब चार सौ साल पुरानी है।उस समय ये मुसलमान नाविक हुआ करते थे, जो ईस्ट इंडिया कंपनी में नाविक के तौर पर काम करते हुए भारत से ब्रिटेन चले गए। फिर मुसलमानों की आबादी ब्रिटेन में बढ़ती चली गई।

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