जो मुसलमान अपनी प्रॉपर्टी को ट्रस्ट के माध्यम से चलाना चाहते हैं, वो चला सकते हैं, उसके लिए कोई बंधन नहीं है।” – राज्य सभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान केन्द्रीय मंत्री– किरण रिजजू
वक्फ-अलल-औलाद की परंपरा को ओटोमन साम्राज्य के दौरान प्रमुखता मिली, जहां यह जायदाद बचाने के लिए एक रणनीतिक उपकरण बन गया. वक्फ में संपत्ति हस्तांतरित कर… संपन्न परिवार अपनी संपत्ति को उत्तराधिकार कानूनों या राज्य की जब्ती से बचाते थे.
वक्फ (संशोधन) बिल 2025 पर अभी राज्यसभा में बहस हो रही है. ये बिल बुधवार को लोकभा में पास हो चुका है. इस बिल में महिलाओं, विधवाओं और अनाथ के अधिकार का … पूरा ख्याल रखा गया है. नए बिल के अनुसार अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी जमीन-जायदाद को वक्फ को दान करना चाहता है तो दान करने से पहले उसे अपने परिवार के महिलाओं का हिस्सा पहले देना पड़ेगा.
इस्लाम में दान की प्रक्रिया में ‘वक्फ-अलल-औलाद’ एक अहम टर्म है. इस टर्म ने सदियों से धन को संरक्षित करने और धर्मार्थ कार्यों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वक्फ-अलल-औलाद का मतलब है “परिवार के लिए वक्फ”. ये वक्फ का एक प्रकार है जिसमें कोई मुसलमान अपनी संपत्ति को अपने बच्चों, नाती-पोतियों या परिवार के अन्य सदस्यों के लाभ के लिए दान करता है. इसका इसका मकसद परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है, ताकि संपत्ति की आय (जैसे किराया या खेती की कमाई) परिवार को मिलती रहे. हालांकि, दानकर्ता वक्फ डीड में आय का एक हिस्सा धार्मिक गतिविधियों के लिए आवंटित करने का प्रावधान भी शामिल कर सकता है.
ये हनफी इस्लामिक कानून से आता है और भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मान्य है.