Janchoupal36
सड़कें जितनी चौड़ी होगी दुर्घटनाएं उतनी ही बढ़ेंगी क्योंकि सड़के “six lane” हो गई पर हमारे नीति नियम और मानसिकता आज भी “narrow lane” पर है।
सड़क दुर्घटना :_
आज आदमी की जिंदगी घरों में कम सड़कों पर ज्यादा है ।किसी ना किसी कारण हर आदमी सड़क ही जा रहा है।भारत में सड़के चमचमाती हुई बन रही हैं पर क्या.?सड़क पर सुरक्षा नियम इसी स्तर पर पालन किया जा रहा है ।भारत में ट्रैफिक नियम सबसे बदहाल स्थिति में है यहां गाड़ियां तो बेतरतीब बढ़ गईं है लेकिन यातायात नियमों पर काफी लापरवाही बरती जा रही है।यूं तो अपने देश में सभी सुविधाओं में भारी कमी है
जिसमें आपातकालीन सुविधाएं तो भगवान भरोसे है।
देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के बीच समय पर चिकित्सा सहायता की कमी पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई है।सर्वोच्च अदालत ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फौरी प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल विकसित करने का निर्देश दिया है।
हमारे देश में पिछले कुछ सालों में सड़क, रेल और हवाई दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी देखने को मिली है।
सीधी बात कहें तो 135 करोड़ आम भारतीय न तो ट्रेनों में सुरक्षित हैं, न सड़कों पर, न ही किसी पुल या फ्लाई ओवर पर। हम कह सकते हैं जैसे-जैसे विज्ञान तरक्की कर रहा है, साथ ही नए ‘इंफ्रास्ट्रक्चर’ (निर्माण कार्य) भी बनते जा रहे हैं, जो कि आम आदमी के जीवन को कहीं न कहीं आसान बना रहे हैं।
लेकिन,इसके बावजूद हमारे देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं इस तरफ इशारा कर रही हैं कि हम अभी भी सड़क सुरक्षा को लेकर सजग नहीं हुए हैं। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है।
वर्ष 2000 में ही भारत में कुल 3 लाख 66 हजार सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 1 लाख 20 हजार ऐसी दुर्घटनाएं थीं।जिनमें 1 या उसे ज्यादा लोग मारे गए थे। वर्ष 2020 में हर 100 गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में 36 लोग मारे गए थे, जबकि वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 33 था। 2020 वही वर्ष था जब कोविड के कारण अधिकतर लोग अपने घरों में ही थे, इसके बावजूद जहां कोविड से 1.5 लाख मौतें हुई, वहीं सड़क हादसों में 1.31 लाख लोगों की मृत्यु हुई।
आए दिन सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएं भारत के लिये एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।
आवश्यक है कि लोगों के व्यवहार में परिवर्तन का प्रयास किया जाए। हेलमेट और सीट-बेल्ट के प्रयोग को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं इन्हीं कारणों के चलते होती हैं। लोगों को शराब पीकर गाड़ी न चलाने के प्रति भी जागरूक किया जाना चाहिए।