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Monday, April 28, 2025

छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या पर बृजमोहन अग्रवाल सांसद रायपुर ने लोकसभा में उठाया प्रश्न

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टाइगर रिजर्व विस्तार की मांग

रायपुर।
बाघ सहित वन्य जीवों के सरंक्षण को लेकर रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में महत्वपूर्ण सवाल उठाए


रायपुर। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या में लगातार गिरावट पर चिंता व्यक्त की है। वर्ष 2014 में जहां राज्यमें 46 बाघ थे, वहीं 2018में यह संख्या घटकर 19 रहगई और 2022 में यह केवल 17 रह गई। इसके विपरीत,देशभर में बाघों की संख्या 2014 में 2226 से बढ़कर
2022 में 3682 हो गई। यह दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ में बाघ संरक्षण को लेकर विशेषध्यान देने की आवश्यकता है।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में छत्तीसगढ़ समेत
देशभर में बाघ और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर महत्वपूर्णसवाल उठाए। उन्होंने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री से देश में बाघ अभयारण्यों की संख्या,बाघों की जनसंख्या में हो रही वृद्धि या कमी, अवैध शिकार की घटनाओं और वन्य जीवों के सरंक्षण के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी मांगी। सांसद के सवालों के जवाब में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि देश में वर्तमान में 58 टाइगर रिजर्व हैं और सरकार बाघ संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है। इसके तहत टाइगर रिजर्व का विस्तार, आधुनिक तकनीक से निगरानी, मानव-पशु संघर्ष को कम करने के उपाय, और अवैध शिकार पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है।

छत्तीसगढ़ को वन्यजीव संरक्षण के लिए केंद्र से मिली सहायता राशि

पर्यावरण मंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ को बाघ और हाथी परियोजनाओं के तहत विभिन्न वित्तीय वर्ष 2021-22 में 355.85 लाख, 2022-23 में 165.75 लाख, 2023-24 में 292.86 लाख और 2024-25 में 181.58 लाख रुपए की राशि जारी की गई है। सरकार द्वारा बाप और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सीएसएस-आईडीडब्ल्यूएच योजना के तहत सहायता दी जा रही है, जिसमें वन्यजीव पर्यावासों काविकास, मानव-पशु संघर्ष की रोकथाम, और टाइगर रिजर्व में आवश्यक संरचनात्मक सुधार किए जा रहे हैं।

बाघों के अवैध शिकार पर सख्त नजर

बाघों के अवैध शिकार पर सांसद अग्रवाल द्वारा पूछे गए सवाल पर सरकार ने स्पष्ट किया कि पिछले तीन वर्षों में देशभर में बाघों के अवैध शिकार की घटनाओं की निगरानी की गई है और इस संबंध में राज्यवार आंकड़े संकलित किए गए हैं। हालांकि, अन्य वन्यजीवों से जुड़ी जानकारी केंद्र सरकार के स्तर पर नहीं रखी जाती।

सरकार की तीन स्तरीय रणनीति-

पर्यावरण मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से सरकार ने मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए तीन स्तरीय रणनीति बनाई है ।
1. संसाधनों और बुनियादी ढांचे सुधार – टाइगर रिजर्व में
आवश्यक सुविधाओं का विस्तार और संरक्षण योजनाओं को सुदृढ़ करना।
2. पर्यावास प्रबंधन बाघों के प्राकृतिक आवास को मजबूत
बनाना और उनके विस्थापन को नियंत्रित करना।
3. मानक संचालन प्रक्रिया मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने
के लिए तीन एसओपी जारी की गई हैं, जिनमें आपातकालीन स्थितियों में बाघों को सुरक्षित बचाने, मवेशियों पर हमले की घटनाओं को नियंत्रित करने, और वन्यजीवों के पुनर्वास की योजना शामिल है।

छत्तीसगढ़ में बाघ संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता

सांसद अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या पर गहरी चिंता व्यक्त की और केंद्र सरकार से इस दिशा में और अधिक ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण के लिए विशेष रणनीति बनाई जानी चाहिए ताकि राज्य में बाघों की संख्या को बढ़ाया जा सके और वन्यजीवों का प्राकृतिक संतुलन बना रहे। उन्होंने सरकार से मांग की कि छत्तीसगढ़ के टाइगर रिजर्व का विस्तार किया जाए, अवैध शिकार पर सख्ती बढ़ाई जाए और बाघों की सुरक्षा के लिए आधुनिक निगरानी तकनीकों को अपनाया जाए। बता दे सांसद बृजमोहन अग्रवाल पहले ही भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग कर चुके है,जिसपर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार को आवश्यक निर्देश भी जारी कर चुके हैं।

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