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Monday, April 28, 2025

फसल अवशेष जलाने पर लगा प्रतिबंध : किसानों से सहयोग की अपील

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कलेक्टर ने सभी सरपंचों से अपील की है कि वे अपने-अपने गांवों में किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकें और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करें।

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशानुसार अब खेतों में फसल अवशेष जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। पर्यावरण को हो रहे नुकसान को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

आदेश का उल्लंघन करने पर दंड वसूला जाएगा

उप संचालक कृषि मोरध्वज डडसेना ने जानकारी दी कि आदेश का उल्लंघन करने पर कृषकों से उनके खेत के रकबे के अनुसार दंड वसूला जाएगा। दो एकड़ तक के किसानों पर 2,500 रुपए, दो से पांच एकड़ वाले किसानों पर 5,000 रुपए तथा पांच एकड़ से अधिक रकबा वाले किसानों पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
उप संचालक कृषि मोरध्वज डडसेना ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से खेत की सतह पर मौजूद लाभकारी सूक्ष्मजीव, मित्र कीटों के अंडे तथा भूमि में पाई जाने वाली ह्यूमस नष्ट हो जाती है, जिससे भूमि की उर्वरता एवं आगामी फसल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसके विपरीत, फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन जैसे कम्पोस्टिंग अथवा जीरो टिलेज विधि से अवशेषों को खेत में ही सड़ने देना, मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि एक टन पैरा जलाने से भारी मात्रा में प्रदूषक गैसे जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती हैं और करीब 199 किग्रा राख का उत्पादन होता है, जो पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है। साथ ही, प्रति टन जलने वाले धान के पैरा से मृदा में 5.5 किलोग्राम सल्फर का नुकसान होता है।

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