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Monday, April 28, 2025

जल रहा अमरकंटक झुलस रहा जंगल खाक ना हो जाए सुरम्य मैकल वादियां…

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अनूपपुर/एमपी:_अमरकंटक के जंगलों में आग लगने की घटना सामने आई है, जिसमें लगभग 10 लाख एकड़ जंगल जलकर खाक हो गए हैं। आग की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ गया है और आसपास के इलाकों में धुंध छा गई है।

आग की वजह: आग लगने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि यह आग जंगल में सूखे पत्तों और घास के कारण लगी हो सकती है।

बुझाने के प्रयास: आग बुझाने के लिए दमकल की कई गाड़ियां और वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंची हैं।आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर की भी मदद ली गई है, जो पानी की बौछार कर आग पर काबू पाने की कोशिश करते हैं।

नुकसान: आग लगने से जंगल के कई हिस्सों में पेड़-पौधे जलकर खाक हो गए हैं।आग की वजह से वन्यजीवों के भी हताहत होने की खबरें हैं।

आग पर काबू पाने के प्रयास जारी था: वन विभाग और स्थानीय प्रशासन आग पर काबू पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।आग बुझने के बाद जंगल की स्थिति का आकलन किया जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी ।

अनूपपुर / मध्य प्रदेश का हिल स्टेशन कहा जाने वाला, मां नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक अपने शीतलता और सुरम्य वातावरण प्रसिद्ध लेकिन वर्तमान में अमरकंटक का तापमान औसत से कई गुना अधिक हो चुका है। अंधाधुंध कांक्रीट निर्माण और जंगलों का आग इसका प्रमुख कारण है। इन दिनों अमरकंटक के जंगल आग से झुलस रहे हैं । इस वर्ष फरवरी माह से ही आगजनी की घटनाएं आने लगी थी, तब से लेकर अब तक इस तरह की घटनाएं लगातार देखने को मिल रही हैं।

आखिर आग लगने के कारण क्या है? वनों में आग लगने के विभिन्न कारण होते हैं, यह क्षेत्र और स्थान के अनुसार भिन्न हो सकते हैं ।अमरकंटक क्षेत्र में आग लगने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं,आग लगने का सबसे बड़ा कारण वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत मिलने वाले भूमि पट्टा की लालच में ग्रामीणों द्वारा आग लगा कर खेत बनाया जा सके, यह अधिनियम वनों में पीढ़ियों से निवासरत जनजाति समूहों को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर वन अधिकार पट्टा देने का प्रावधान है किंतु सरकार और राजनीतिक पार्टियों द्वारा इसे चुनावी एजेंडा बनाकर ग्रामीणों में लालच को बढ़ा दिया जाता है।

इसी लालच के परिणाम स्वरूप वन भूमि को कब्जा करने हेतु सफाई करने के उद्देश्य वनों की तराई में आग लगाया जाता है जो पूरे जंगल को जलाकर राख कर दे रहा है।

दूसरा कारण
मशरूम (पिहरी / पुटु) से संबंधित है, ग्रामीणों का मानना है कि आग लगने से अत्यधिक पिहरी / मशरूम का उत्पादन होगा जबकि यह एक मिथक है। आग लगने का एक बड़ा कारण ग्रामीणों द्वारा पशुओं को चराने हेतु रास्ते के लिए लैंटाना को साफ करने के उद्देश्य से आग लगा दिया जाता है।

आग लगने के अन्य कारण भी हैं जैसे महुआ बिनने के उद्देश्य से, बीड़ी सिगरेट पीकर फेक देने से, वन विभाग की कार्रवाई से नाराज ग्रामीणों द्वारा वन
रक्षकों से बदला लेने के उद्देश्य से तथा शिकार करने के लिए पत्तों को साफ करने के उद्देश्य तथा जंगली जानवरों को मारने के उद्देश्य आग लगाई जाती है । प्रशासन तथा वन विभाग को आगजनी की घटनाओं से निपटने हेतु हाई अलर्ट पर रहना चाहिए।

नर्मदा युवा संघ संस्था शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के विषय पर कर रहा है, संस्था द्वारा वनों को आग से बचाने के लिए गांव-गांव सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हैं, साथ ही आग लगने की स्थिति पर युवाओं की टोली जंगलों में पहुंचकर आग बुझाने का भी कार्य करती है। वन परिक्षेत्र
अमरकंटक के बिजोरी बीट में विगत दिन में लगे भयानक आग को काबू पाने के लिए युवा संघ के 35 सदस्यों की दल द्वारा रात 9 बजे से 1 तक आग बुझाने की कड़ी मशक्कत करके आग पर काबू पाया गया।

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