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Monday, April 28, 2025

एयर होस्टेस ने लिखाई रिपोर्ट, आरोपी गिरफ्तार,पुलिस को पीड़िता ने कहा” मेदांता(गुरुग्राम)हॉस्पिटल में हुआ उसका डिजिटल रेप :_

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डिजिटल रेप के मामले में अगर आपको लग रहा है कि इसका मतलब ऑनलाइन पॉर्न देखना या फिर महिला के खिलाफ किसी तरह के ऑनलाइन अपराध से है।लेकिन ऐसा नहीं होता है।डिजिटल रेप का अर्थ है जब आरोपी पीड़िता का सेक्सुअल असॉल्ट अपने हाथ या फिर पैरों की उंगलियों से करता है।

आसान भाषा में समझें में जब कोई आरोपी किसी महिला के निजी अंगों को बिना उसकी इजाजत के अपनी उंगलियों के जरिए छूता है, तो उसे डिजिटल रेप कहा जाता है।

हरियाणा में गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एयर होस्टेस से डिजिटल रेप के मामले की पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। मामले में गुरुग्राम पुलिस ने अस्पताल में कथित तौर पर काम करने वाले एक तकनीशियन को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि इस व्यक्ति पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर उस समय Digital Rape किया, जब महिला आईसीयू में वेंटिलेटर पर थी। पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी दीपक के रूप में हुई है, जो कुछ समय से गुरुग्राम में रह रहा था।

यह मामला तब उजागर हुआ जब पीड़िता ने होश में आने के बाद 14 अप्रैल को सदर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में आरोपी दीपक कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। दीपक बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है और हाल ही में ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी में डिग्री लेकर मेदांता अस्पताल में ICU टेक्नीशियन के तौर पर काम कर रहा था। आइए समझते हैं कि डिजिटल रेप क्या होता है?

डिजिटल रेप क्या है?
यह एक गंभीर यौन अपराध है जिसमें बिना सहमति के किसी व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट में उंगलियां या किसी वस्तु का इस्तेमाल कर प्रवेश कराया जाता है। डिजिटल शब्द का मतलब यहां यही ना कि इंटरनेट या डिजिटल तकनीक से।

यह अपराध 2012 के निर्भया कांड के बाद भारतीय दंड संहिता आईपीसी के तहत बलात्कार की श्रेणी में शामिल किया गया। हालांकि अब इसे भारत के नए कानून भारतीय न्याय संहिता BNS में भी गंभीर अपराध माना गया है।

कानून और सजा का प्रावधान
भारत में डिजिटल रेप को गंभीर अपराध मानते हुए कठोर सजा का प्रावधान है।पहले आईपीसी की धारा 375-376 के तहत दोषी के लिए सजा का प्रावधान था. जिसमें कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है जो कुछ मामलों में 10 साल तक या आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है। अगर पीड़ित नाबालिग है तो पॉक्सो एक्ट के तहत सजा और सख्त होती है जिसमें 10 से 20 साल तक की जेल या उम्रकैद भी हो सकती है।अब नए कानून के तहत इसे बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है। इसमें पीड़िता की सहमति के बिना कोई भी ऐसा कृत्य अपराध माना जाएगा और दोषी पाए जाने पर आरोपी को 10 साल तक की जेल या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

डिजिटल रेप के मामले देश में बढ़ रहे हैं लेकिन कई लोग इस अपराध के बारे में नहीं जानते। खासकर ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी के कारण पीड़ित चुप रह जाते हैं।एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों को इस अपराध के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है। इस तरह के मामलों में अक्सर पीड़ित महिलाएं सामने आने से कतराती हैं इसलिए समाज में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है।

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