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Wednesday, June 18, 2025

वनांचल क्षेत्रों के लिए वरदान: दंतेवाड़ा में देश की पहली सरकारी कोल्ड स्टोरेज सुविधा की स्थापना

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बस्तर के किसानों के लिए खुशखबरी।दंतेवाड़ा में कोल्ड स्टोरेज की पहल वनोपज और कृषि उत्पादों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम।वनांचल क्षेत्रों के कृषि,वनोपज संरक्षण के लिए देश की पहली सरकारी कोल्ड स्टोरेज।

छत्तीसगढ़/ बस्तर न्यूज

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत यह परियोजना बस्तर संभाग के किसानों और वनोपज संग्राहकों को लाभ पहुंचाएगी।दंतेवाड़ा के पातररास गांव में 25 करोड़ रुपये की लागत से देश की पहली सरकारी कोल्ड स्टोरेज और रेडिएशन तकनीक युक्त सुविधा स्थापित की जा रही है।
हर साल 10,000 मीट्रिक टन उपज सुरक्षित रखी जा सकेगी, जिससे 7 से 20% तक की बर्बादी रुकेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा।
किसानों की उपज की बर्बाद रुकेगी
इसके तैयार होने से उपज वनोपज की बर्बादी में कमी आएगी इस सुविधा से बस्तर क्षेत्र में हर साल खराब होने वाली 7-20% उपज को बचाया जा सकेगा।इस परियोजना के तैयार होने से किसानों की आय में वृद्धि की जा सकेगी।उत्पादों का टिकाऊपन बढ़ेगा, बर्बादी रुकेगी और किसानों को ज्यादा दाम मिलेंगे।
रोजगार के अवसर निकलेंगे
यह केंद्र स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और वामपंथ प्रभावित क्षेत्रों में स्थायित्व व विकास का नया आधार बनेगा।रोजगार के अवसर मिलेंगे इस सुविधा से प्रतिवर्ष लगभग 8.5 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
कोल्ड स्टोरेज की शुरुआत रेडिएशन मशीन जैसी अत्याधुनिक तकनीक
सीएम साय के महती सोच और प्रयास से दंतेवाड़ा में देश की पहली सरकारी कोल्ड स्टोरेज सुविधा की शुरुआत हो रही है, जो आदिवासी क्षेत्रों में कृषि और वन उत्पादों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सुविधा के तहत पातर रास गांव में एक आधुनिक कोल्ड स्टोरेज केंद्र बनाया जा रहा है, जिसमें 1500 मीट्रिक टन की क्षमता वाला कोल्ड स्टोरेज, 1000 मीट्रिक टन का फ्रोजन स्टोरेज और रेडिएशन मशीन जैसी अत्याधुनिक तकनीक होगी।
वनांचल उत्पादों को ब्रांड के साथ अंतरराष्ट्रीय पहचान
इस परियोजना के तैयार होने से आदिवासी उत्पादों की ब्रांडिंग के साथ बस्तर के उत्पादों को देश-विदेश में ब्रांड के रूप में भेजने की योजना है, जिससे आदिवासी उत्पादों को एक नई पहचान मिलेगी।
परियोजना की लागत और समय
इस परियोजना की लागत करीब 25 करोड़ रुपये है, जिसमें 10 करोड़ रुपये केंद्र सरकार की योजना से और 14.98 करोड़ रुपये जिला खनिज निधि से व्यय किए जाएंगे। इस सुविधा के निर्माण में लगभग 2 साल का समय लगेगा और इसके पूरा होने पर बस्तर क्षेत्र के किसानों और वनोपज संग्राहकों को इसका सीधा लाभ मिलेगा ।

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