(खबर पर एक नजर)
बंगाल में हिंसा के बीच राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है। भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल के ताजा माहौल पर सेना डिप्लॉय करने की मांग कर चुके हैं।
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को मुर्शिदाबाद हिंसा पर लेना चाहिए संज्ञान’
कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर चिंता जताई।उन्होंने पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले का संज्ञान लेने की मांग की है।
मुर्शिदाबाद की घटना के विरोध में विहिप ने दिया धरना
Janchoupal36 चर्चा
:_मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद घटना को लेकर जांच की जा रही है। इस बीच पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुर्शिदाबाद हिंसा मामलों में अब तक 100 से अधिक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।पुलिस ने अब तक इन मामलों में 276 लोगों को गिरफ्तार भी किया है
पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में एक व्यक्ति और उसके बेटे की हत्या मुख्य आरोपियों में से एक और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस गिरफ्तारी को लेकर बताया कि शमशेरगंज के जाफराबाद में 2 लोगों की हत्या के मामले में यह चौथी गिरफ्तारी है। वहीं मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर धरपकड़ जारी है और करीब 300 लोगों को पकड़ लिया गया है जबकि 100 से अधिक एफआईआई भी कराई जा चुकी है।
राष्ट्रीय कानून का विरोध क्यों और कैसे होनी चाहिए
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की आवाज उठने लगी है। ममता बनर्जी की टीएमसी पार्टी राज्यपाल पर अनाप-शनाप बयान दे रही है तो वहीं बीजेपी मुर्शिदाबाद की घटना और हिंदुओं के पलायन पर ममता सरकार को घेर रही है। क्या ममता सरकार वक्फ कानून और मुस्लिम वोट बैंक के बीच फंस चुकी है? क्या मुर्शिदाबाद की हिंसा अचानक हुई या एक गहरी रणनीति का हिस्सा है?
लोकतंत्र में विरोध के लिए उपद्रव ठीक नहीं !
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के धूलियान शहर का बेदवना, जहां उपद्रवियों ने 190 घरों में से 113 को जला दिया। हिंसा के बाद लोगों ने यहां से पलायन कर लिया है। इतना ही नहीं उपद्रवियों ने करीब आठ घंटे चले उपद्रव के दौरान खूंटी में बंधे पशुओं को भी नहीं छोड़ा। उपद्रवियों ने उन्हें भी जिंदा जला दिया।
हिंसा के बाद सिसकी हुई हालात
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की हवाओं में कभी बांग्ला, उर्दू और हिंदी की खुशबू थी, आज वहां सिर्फ जलती हुई सियासी रोटियां और उजड़े घरों की राख है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में आज सन्नाटा और सिसकियां हैं। इस धरती पर आज लहू की लकीरें खिंची हुई हैं। इसी बदनसीब जमीन के जख्मों पर मरहम लगाने शनिवार को राज्यपाल पहुंचे। शुक्रवार वो मालदा के दौरे पर थे, जहां मुर्शिदाबाद से पलायन कर लोग अपनी जान बचाने के लिए भागकर पहुंचे थे। लेकिन राज्यपाल के दौरे पर भी राजनीति का ठप्पा लग गया।
मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल में फैले तनाव के बीच सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में शांति की अपील की है।
शरणार्थियों की स्थिति ही कैदियों जैसी थी
मीडिया को अंदर जाने से रोका, शरणार्थी ने कहा क्या हिंदू होना ही हमारा गुनाह है!!
सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब मीडिया को अंदर जाने से रोका गया। आईपीएस फैसल रज़ा ने माननीय कोर्ट के आदेश का हवाला देकर कवरेज पर रोक लगाई, जबकि ऐसा कोई आदेश था ही नहीं। जब उनसे आदेश दिखाने को कहा गया तो वह धमकियों पर उतर आए। शिविरों में रह रहे तपन (परिवर्तित नाम) ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि एक लोकतांत्रिक देश में अपने ही देश की पुलिस हमें कैद करेगी। हम तो बस जीना चाहते हैं, लेकिन क्या हिंदू होना ही हमारा गुनाह है
भाजपा-कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने इन शिविरों को ‘डिटेंशन कैंप’ बताते हुए कहा था कि सरकार ने इन्हें संवेदनशील शरणस्थल की जगह जेलखाना बना दिया है। उन्होंने कहा, “करीब 400 लोग अपने घर छोड़कर भागे और अब उन्हें कैद कर रखा गया है…।
मुर्शिदाबाद के माहौल शांत होने के बाद
अब पलायन कर चुके लोग घर वापसी कर रहे हैं…